श्रेणी: लेखन हिन्दुस्तानी

  • मार्गदर्शक दीप-ज्योति

    (हे दीपोज्योति) मेरे अंदर उपस्थित दुष्टबुद्धि / कुबुद्धि/ शत्रु बुद्धि का नाश कीजिए! आपको मेरा प्रणाम!!! (नमन्)!

  • प्रबुद्ध भारतीय?

    अंग्रेज कहते थे…“दो-दो पैसे में..बिकता है हिन्दुस्तानी!”और हम हिन्दुस्तानी..उनके इस कथन को, सही सिद्ध करने,सदैव कटिबद्ध रहेंगे!– #सत्यार्चन का #सतदर्शन

  • धार्मिकता रहित धर्म?

    जिन धर्मों केपूजा/प्रार्थना स्थल;निर्माण, रखरखाव और संचालन के लिए,सरकारी मदद पर आश्रित हैं,उन धर्मों के लोगों में धार्मिकता का अभाव तो स्वप्रमाणित है!– #सत्यार्चन का #सतदर्शन.

  • हमारे मिलन के गवाह…

    काँटे इतने बड़े हो जाते हैं कि फूल नजर ही नहीं आते हैं … झील की मछलियां बेचैन होकर बाहर निकल आती हैं…

  • She… An Abnormal 82….

    She… An Abnormal 82… What you should have to doWith an abnormal 82 ?Think again my dear n koo… what you should have to do ?With some abnormal one of 82 ?Should fight or beat for keeping her quite…as often you doOr let her breath remaining breaths with her soo  or boo….?Think my dear again and…

  • भूतों से सामना..

    इसीलिए किसी भी मामले में केवल प्रथम दर्शन, श्रवण के आधार पर कोई धारणा बनाने से पहले तह तक पहुँचता हूँ..

  • पेटेंट्स में हिस्सेदारी कीजिये!

    पेटेंट्स में हिस्सेदारी कीजिये! मैं पिछले 20 साल से इस वीडियो में प्रदर्शित मॉडल्स से 10 गुणा एडवांस कांसेप्ट  लिये प्रशासन (या अन्य निवेशक ) के इंतजार में  बैठा हूँ..!.यदि किसी में क्षमता हो और वे पेटेंट में हिस्सेदारी  के आधार पर, इस में / इस जैसे अन्य अनेक प्रोजेक्ट्स में शुरुआती खर्च उठाने तैयार…

  • परमात्मा! (?)

    *#परमात्म चिन्तन (?)*(एक अन्य सन्त से मेरी आज की चर्चा का सार…)अपनी-अपनी प्रेरणा के अनुरूप अपनी-अपनी संकल्पना तक ही व्यक्ति परमात्म स्वरूप को आकार देता है… किन्तु जो तार्किकता की कसौटी पर जितना ग्राह्य हो वही स्वरूप मान्यता पाता है!#परमपिता_परमेश्वर शब्द एवं भाव के जनक #पुण्यात्मा जीजस थे.. ! हर एक आत्मा परिष्कृत पुण्यात्मा में…

  • नग्न नारी और व्यभिचार बने वैश्विक व्यापार का आधार?

    नग्न नारी और व्यभिचार बने वैश्विक व्यापार का आधार?

    “दुश्मन से दुश्मनी रख दुश्मन को मिटा देने की मानसिकता से ऊपर उठकर; दुश्मनी से दुश्मनी कर दुश्मनी को ही जड़ से मिटाने की मानसिकता पालनी होगी!”

  • संघर्ष..

    संघर्षों का समापन सुखकर ही होता है..